नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) यानी CAA को लेकर अमेरिका (United States of America) के बयान पर भारत सरकार (Indian Government) ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून पर अमेरिका की चिंता गलत, अनुचित और अनपेक्षित है. रणधीर जायसवाल ने कहा, “CAA भारत का आंतरिक मामला है. CAA नागरिकता देने वाला कानून है, लेने वाला नहीं. उन्होंने साफ किया कि भारत का संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है. अल्पसंख्यकों के प्रति चिंता का कोई आधार नहीं है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने CAA पर चिंता जताई थी. मिलर ने गुरुवार को एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, “हम 11 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून के लागू होने से चिंतित हैं. हम इस अधिनियम और इसे कैसे लागू किया जाता है, इस पर करीबी से नजर रखे हुए हैं.” उन्होंने कहा, “धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और कानून के तहत सभी समुदायों के प्रति समान व्यवहार मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत है.”
CAA से नहीं छिनेगी किसी की नागरिकता
अमेरिका को दो टूक जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने शुक्रवार को कहा, “CAA अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में आ चुके हैं. CAA से नागरिकता मिलेगी, इससे किसी की नागरिकता नहीं छिनेगी.” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “CAA राज्यविहीनता के मुद्दे को संबोधित करता है. मानवीय गरिमा प्रदान करता है और मानवाधिकारों का समर्थन करता है.”
अल्प संख्यकों के लिए चिंता का कोई आधार नहीं
जयसवाल ने आगे कहा, ”जहां तक अमेरिकी विदेश विभाग के बयान का संबंध है, भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है. अल्पसंख्यकों के प्रति किसी भी चिंता या व्यवहार का कोई आधार नहीं है. वोट बैंक की राजनीति को संकट में फंसे लोगों की मदद के लिए एक प्रशंसनीय पहल के बारे में विचार निर्धारित नहीं करना चाहिए.”
भारत के भागीदारों को इस कदम का करना चाहिए स्वागत
उन्होंने कहा, “जिन लोगों को भारत की बहुलवादी परंपराओं और क्षेत्र के विभाजन के बाद के इतिहास की सीमित समझ है, उन्हें व्याख्यान देने का प्रयास नहीं करना चाहिए. भारत के भागीदारों और शुभचिंतकों को उस इरादे का स्वागत करना चाहिए, जिसके साथ यह कदम उठाया गया है.”
11 मार्च को CAA का नोटिफिकेशन हुआ जारी
केंद्र सरकार ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA का नोटिफिकेशन जारी किया था. इसके साथ ही यह कानून देशभर में लागू हो गया. CAA से पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है.
नागरिकता संशोधन विधेयक पर 12 दिसंबर 2019 को लगी थी मुहर
11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (CAB) के पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े थे. 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई. हालांकि, सरकार इस कानून को लागू करने के लिए नियम-कायदे बनाने की समय सीमा 8 बार बढ़ा चुकी है.
गृह मंत्रालय ने लॉन्च किया वेब पोर्टल
गृह मंत्रालय ने CAA के तहत भारतीय नागरिकता के लिए 12 मार्च को वेब पोर्टल लॉन्च किया. पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों से नागरिकता के लिए आवेदन मांगे गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने दायर की याचिका
दूसरी तरफ, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने CAA पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में CAA 2019 और सिटिजनशिप अमेंडमेंट रूल्स 2024 के विवादित प्रावधानों को लागू करने पर रोक लगाने की मांग की गई है. इसके अलावा असम कांग्रेस के नेता देवब्रत सैकिया और असम की संस्था AJYCP की तरफ से भी याचिका दाखिल की गई है. सुप्रीम कोर्ट सभी याचिकाओं पर मंगलवार (19 मार्च) को सुनवाई करेगा.