अंदर घुसकर मारेंगे vs सद्दाम जैसा निपटाएंगे : तुर्कीए और इजरायल में छिड़ा ‘शब्द युद्ध’

We will enter and kill vs We will deal with them like Saddam 'War of words' breaks out between Turkey and Israel

तुर्कीए के राष्ट्रपति एर्दोआन ने दी इज़राइल को दी धमकी है. उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनियों की मदद के लिए तुर्कीए इज़राइल में घुस सकता है.उन्होंने लीबिया, नागोर्नो-काराबख़ में तुर्कीए के घुसने का हवाला भी दिया कि वह पहले भी ऐसा कर चुके हैं. एर्दोआन की इस धमकी पर इज़राइल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. इजरायल ने कहा कि सद्दाम हुसैन के नक्शेक़दम पर एर्दोआन चल रहे हैं. एर्दोआन का हश्र भी सद्दाम हुसैन जैसा हो सकता है.

राष्ट्रपति तैयप एर्दोअन ने रविवार को कहा कि तुर्कीए इजराइल में प्रवेश कर सकता है जैसा कि उसने अतीत में लीबिया और नागोर्नो-काराबाख में किया था, हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि वह किस प्रकार के हस्तक्षेप का सुझाव दे रहे थे. एर्दोअन गाजा में इजरायल के हमले के कट्टर आलोचक रहे हैं. एर्दोअन ने अपने देश के रक्षा उद्योग की प्रशंसा करते हुए एक भाषण के दौरान उस युद्ध पर चर्चा शुरू की. एर्दोगन ने अपनी सत्तारूढ़ एके पार्टी की एक बैठक में कहा, “हमें बहुत मजबूत होना चाहिए ताकि इजरायल फिलिस्तीन के साथ ये हास्यास्पद चीजें न कर सके. जैसे हमने काराबाख में प्रवेश किया, जैसे हमने लीबिया में प्रवेश किया, हम उनके जैसा ही कर सकते हैं.” एर्दोअन ने टेलीविज़न संबोधन में कहा, “ऐसा कोई कारण नहीं है कि हम ऐसा नहीं कर सकते… हमें मजबूत होना चाहिए ताकि हम ये कदम उठा सकें.”

एर्दोआन की तरफ से ये एक ऐसा बयान है, जो इजराइल को उकसा सकता है. हालांकि, एर्दोआन ने इसका खुलासा नहीं किया या इसका ब्योरा नहीं दिया कि वे आखिर किस तरह से हस्तक्षेप की बात कर रहे हैं. गौरतलब है कि तुर्कीए नाटो का सदस्य है और इसके पास नाटो की दूसरी सबसे बड़ी सेना हैस लेकिन इसे नाटो की तरफ से धमकी नहीं बल्कि तुर्कीए की धमकी माना जा रहा है. इस बयान से नाटो देशों के बीच इजराइल-हमास जंग को लेकर आपसी खींचतान बढ़ सकती है. कुछ नाटो देश आतंक के ख़िलाफ़ इजराइल को राजनीतिक और व्यवहारिक समर्थन देने को तैयार हैं, वहीं तुर्कीए जैसा देश हमास के समर्थन में नजर आता है.

एर्दोआन गाजा में इजराइल के ऑपरेशन के बेहद खिलाफ़ हैं और अक्सर इजराइल के खिलाफ बयान देते रहते हैं. इजराइल ने उनके इस ताजा बयान पर बहुत ही कड़ी प्रतिक्रिया दी है. इजराइल के विदेश मंत्री इजराइल काट्ज़ ने एक्स हैंडल पर लिखा कि एर्दोआन इजराइल पर हमले की धमकी देकर सद्दाम हुसैन के नक्शेकदम पर चल रहे हैं. उनको याद रखना चाहिए कि उनकी हालत भी इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन की तरह हो सकती है, जिसे फांसी पर लटका कर मारा गया.

ज़ाहिर सी बात है कि इजराइल पर हिज़्बुल्लाह के हमले और उसमें 12 की मौत के बाद तनाव बहुत ही बढ़ा हुआ है. ऐसे में एर्दोआन के बयान ने आग में और घी डालने का काम किया है. इजराइल में घुसने की बात एर्दोआन ने कर तो दी लेकिन मौजूदा समय में ये संभव नहीं लगता. यहां तक कि इजराइल का धुर विरोधी ईरान भी इजराइल से सीधे नहीं टकरा रहा. बल्कि हमास, हूती और हिज़्बुल्लाह जैसे संगठनों को मदद और समर्थन देकर अपना काम कर रहा है. तुर्कीए इजराइल के साथ सीधा युद्ध मोल लेगा क्या ये सोचने की बात है?

जहां तक एर्दोआन ने लीबिया और नागोर्नो-काराबख़ में घुसने का जो ज़िक्र किया, वो अलग मामला था. 2020 में तुर्कीए ने लीबिया में अपनी सेना भेजी. तुर्कीए की सेना लीबिया की उस सरकार के समर्थन में भेजी गई, जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने मान्यता दी हुई थी. लीबिया के प्रधानमंत्री अब्दुल हमीद अल दबैबाह को तुर्की का समर्थन मिला. वहीं जहां तक नागोर्नो-काराबख़ की बात है तो तुर्कीए ने आर्मेनिया के खिलाफ नागोर्नों-काराबख़ में अज़रबैज़ान के सैन्य अभियान में किसी सीधी भूमिका की बात कभी नहीं स्वीकारी, लेकिन पिछले साल ये कहा कि उसने अपने नजदीकी साझीदार को सैन्य प्रशिक्षण और आधुनिकीकर समेत हर तरह से मदद दी.

फिलिस्तीनियों और फिलिस्तीन की आजादी के लिए लड़ने की बात करने वाले संगठनों समर्थन देना एक बात है, लेकिन इसके लिए इजराइल में घुसने की बात करना दूसरी बात. इजराइल न तो आर्मेनिया है और न ही लीबिया. जानकार मानते हैं कि इस्लामिक वर्ल्ड में अपनी पैठ बढ़ाने की नीयत से दिया गया बयान मानते हैं.