क्‍या है वो ‘चक्रव्‍यूह’ और कैसे उसे जातिगत जनगणना से भेदेंगे राहुल गांधी, समझिए पूरी रणनीति

What is that 'Chakravyuh' and how will Rahul Gandhi break it through caste census, understand the whole strategy

नई दिल्‍ली (NDTV): लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में बजट पर चर्चा पर बोलते हुए कहा कि भाजपा ने एक चक्रव्‍यूह की रचना की है. इस चक्रव्‍यूह में भारत की जनता को फंसाया गया. लेकिन राहुल गांधी ने दावा किया है कि वे भाजपा के इस चक्रव्‍यूह को भेदेंगे. चक्रव्‍यूह को भेदने के लिए राहुल गांधी जातिगत जनगणना को हथियार के रूप में इस्‍तेमाल करने की बात कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं कि राहुल गांधी किस चक्रव्‍यूह की बात कर रहे हैं और उसे भेदने वाला जातिगत जनगणना का हथियार क्‍या है…?

चक्रव्यूह का एक रूप… लोटसव्यू 

लोकसभा में बजट पर बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा, “देश की जनता को भाजपा ने एक चक्रव्यूह में फंसाया है. चक्रव्यूह का एक और रूप होता है पद्मव्यूह जो लोटसव्यू में होता है. इस चक्रव्यूह को 6 लोग कंट्रोल कर रहे हैं.” हिन्दुस्तान के युवाओं, किसानों, माताओं-बहनों, स्माल और मीडियम बिजनेस के साथ किया जा रहा है, इन सभी को चक्रव्‍यूह में फंसाया जा रहा है. साथ ही राहुल गांधी ने पेपर लीक मामले पर भी केंद्र सरकार पर हमला किया. उन्‍होंने कहा, “बजट में वित्त मंत्री ने ‘पेपर लीक’ पर एक भी शब्द नहीं बोला, शिक्षा पर 20 साल में सबसे कम बजट दिया गया है. बजट में सरकार ने मध्यम वर्ग के साथ धोखा किया है, अब मध्यम वर्ग सरकार का साथ छोड़कर ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ आ रहा है.”

क्‍या है जातिगत जनगणना ?

कांग्रेस जातिगत जनगणना के पक्ष में है. राहुल गांधी ने कई बार अपने चुनावी भाषण में इसका जिक्र किया था. उन्‍होंने कहा था कि अगर वे सत्‍ता में आते हैं, तो जातिगत जनगणना कराएंगे. आज लोकसभा में भी राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाया और कहा कि वे इसे हथियार बनाकर भाजपा से लड़ेंगे. बता दें कि जातिगत जनगणना का तात्पर्य जनगणना के दौरान लोगों की जाति का डेटा एकत्र करना है. यह डेटा सामाजिक-आर्थिक विकास योजनाओं को बनाने, सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने और विभिन्न जातियों के बीच असमानताओं को कम करने में मदद कर सकता है. 2021 की जनगणना में जातिगत डेटा एकत्र करने का मुद्दा काफी विवादित रहा है. कोविड-19 महामारी के कारण जनगणना स्थगित हो गई थी, और बाद में सरकार ने जातिगत डेटा एकत्र करने के प्रस्ताव को वापस ले लिया.